दूरदर्शनः विकास या विनाश
Nibandh Doordarshan Vikas ya Vinas
दूरदर्शन आधुनिक युग का एक ऐसा साधन है जो मानव को मनोरंजन देने के साथ प्रेरणा और शिक्षा भी प्रदान करता है। मनुष्य चाहे किसी भी आयु वर्ग का या आय वर्ग अथवा किसी भी देश का वासी हो, सभी के मन में ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थानों को देखने की तीव्र लालसा रहती है। वह चाहता है संसार के ख्याति प्राप्त व्यक्तियों को कलाकारों, वैज्ञानिकों, खिलाडियों, अभिनेत्रों की जीता-जागता देखे। दूरदर्शन एक ऐसा ही साधन है जिसने यह सब संभव कर दिखाया है। इस अद्भुत यंत्र के आविष्कारक महान वैज्ञानिक जेम्स लॉगी बेयर्ड थे। दूरदर्शन के आविष्कार से यह संभव हो गया है कि हम घर बैठे लाखों मील दूर की घटनाओं को अपनी आँखों से देख सकते हैं।
आज कल दूरदर्षन का प्रयोग घर-घर में हो रहा है। इस प्रकार दूरदर्शन आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। दूरदर्शन ने मानव-जीवन को बहुत प्रभावित किया है। परन्तु हर वस्तु के दो पक्ष होते हैं। जहाँ अच्छाई होगी वहीं बुराई भी होगी। इसी प्रकार दूरदर्शन के भी दो पहलू हैं-विकास और विनाश। जीवन में दूरदर्शन के अच्छे कार्यक्रमों का प्रभाव पड़ता है। हम उनसे प्रेरणा प्राप्त करते हैं। दूरदर्शन सिर्फ एक समाचार का माध्यम ही नहीं है अपितु मनोरंजन का अमूल्य साधन है।
दूरदर्शन शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय-समय पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम से विद्यार्थी घर बैठे लाभ उठा सकते हैं। दूरदर्शन ने राष्ट्रीय सद्भावना और साक्षरता के क्षेत्र में भी बहुत योगदान है। उसमें दिखाए गए उदात्त जीवन-मूल्यों, आदर्शों को जीवन में उतारने का प्रयास विकास है तो उसमें दिखाए गए हिंसा, भद्दे नाट्य एवं नृत्य, अश्लील कार्यक्रमों को देखकर उनका अनुकरण करना विनाश है। दूरदर्शन के कार्यक्रम हमें सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज-प्रथा, बाल-विवाह, अशिक्षा, अंधविश्वासों से छुटकारा पाने के लिए तैयार करता है। दूरदर्शन अपने कार्यक्रमों के द्वारा जनमत बनाने में सहायता प्रदान करता है।
दूरदर्शन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों में अपनी सभ्यता संस्कृति के प्रति प्रत्येक वर्ग की भावना का विकास करता है। कई बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़कर पूरे दिन दूरदर्शन के आगे अपना समय नष्ट करते हैं। इससे उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक दूरदर्शन देखने से छात्रों के अध्ययन में बाधा आती है तथा नज़र भी कमजोर होती है। इससे उनका भविष्य चौपट हो जाता है।
वास्तव में दूरदर्शन का कोई दोष नहीं है, दूरदर्शन हर परिवार का एक अभिन्न अंग है। यह तो दर्शकों पर निर्भर है कि वह इसे देख विकास का मार्ग अपनाते हैं या विनाश का।
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