बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध (200, 300, 400, 600, 700, 800 से 1000 शब्दों में )- Short and long Essay on Unemployment in Hindi .
भारत में कई समस्याए है उसी एक समस्या में से एक बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।
Table of Contents (विषय सूची-बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध)
निबंध 200-300 शब्दों में बेरोजगारी पर निबंध प्रस्तावना सहित।
प्रस्तावना: आधुनिक युग में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है जो विभिन्न देशों को प्रभावित कर रही है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर रही है।
बेरोजगारी का कारण: बेरोजगारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अर्थव्यवस्था की अस्थिरता, तकनीकी उन्नति के कारण कामों की संख्या में कमी, शिक्षा संस्थानों में उचित शिक्षा की अभाव, विशेषज्ञता की कमी, और सरकारी नीतियों की अनुपयुक्तता आदि।
प्रभाव: बेरोजगारी का प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस होता है। यह न केवल आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन, और समाज में सामाजिक स्थिति की दृष्टि से भी गहरा परिणाम डालता है।
समाधान: बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारों को उचित नीतियों की प्राथमिकता देनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में निवेश और तकनीकी शिक्षा की महत्वपूर्णता को समझते हुए, युवाओं को उनके कौशलों के अनुसार रोजगार प्रदान करने के उपाय अपनाने चाहिए। स्वामी विवेकानंद की भारतीय युवा को शिक्षित, उद्यमी और समर्थ बनाने की प्रेरणा को मानते हुए, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए।
निष्कर्ष: बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर साथ मिलकर कर सकते हैं। उचित नीतियों के अपनाने, शिक्षा के प्रति निवेश, और युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से हम बेरोजगारी को कम कर सकते हैं और एक समृद्धि और सकारात्मक समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
निबंध 400-500 शब्दों में – भारत में बेरोजगारी और बेरोजगारी के कारन
प्रस्तावना:
बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो भारतीय समाज के उन आवामी वर्गों को प्रभावित करती है, जो उचित कौशल और योग्यता के साथ होते हुए भी उचित रोजगार नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। इस निबंध में, हम भारत में बेरोजगारी के प्रकार, कारण, समस्या और इसके समाधान पर चर्चा करेंगे।
भारत में बेरोजगारी के प्रकार:
बेरोजगारी के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि विद्युत बेरोजगारी, खाद्य बेरोजगारी, नौकरी की बेरोजगारी आदि। विद्युत बेरोजगारी में विद्युत योजनाओं की कमी के कारण लोगों को बिजली साप्लाई नहीं मिलती है। खाद्य बेरोजगारी में किसानों को सही मूल्य मिलने के बावजूद वे अपनी उत्पादन को बेचने में समस्या का सामना करते हैं। नौकरी की बेरोजगारी में युवाओं को विशिष्ट क्षेत्र में उचित रोजगार की कमी होती है।
भारत में बेरोजगारी के कारण:
- अशिक्षा और योग्यता की कमी: अधिकांश लोग अवशिष्ट शिक्षा और योग्यता के बावजूद उचित रोजगार पाने में समस्या का सामना करते हैं।
- आर्थिक संकट: भारत की अस्थिर अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट के कारण नौकरियों की संख्या में कमी हो सकती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
- विशेषज्ञता की कमी: कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी के कारण युवा व्यक्तियों को उचित कौशल नहीं होता, जिससे उन्हें सही रोजगार नहीं मिलता।
- नौकरी की अवसादना: विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी की अवसादना होने के कारण युवा लोग बेरोजगार हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर नौकरी नहीं मिलती।
- असमानता: भारत में आर्थिक असमानता के कारण कुछ लोगों को उचित रोजगार पाने में समस्या हो सकती है, जबकि कुछ व्यक्तियों के पास उच्चतम शिक्षा और योग्यता होती है।
भारत में बेरोजगारी की समस्या:
बेरोजगारी भारतीय समाज
के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिससे कई समसामयिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह समस्या सामाजिक असमानता, आर्थिक दुर्बलता, युवा पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।
बेरोजगारी की समस्या और समाधान:
बेरोजगारी को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने नौकरियों के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ आदि। यह योजनाएँ युवाओं को उचित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके स्वयं के उद्यम का संरचना करने का अवसर प्रदान कर रही हैं।
निष्कर्ष:
भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जो समाज के विकास में बाधापूर्ण रूप से प्रभावित करती है। अशिक्षा, योग्यता की कमी, आर्थिक संकट, असमानता आदि बेरोजगारी के कारण हो सकते हैं। हमें योग्यता और कौशल में सुधार करने के साथ-साथ समाज में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ियों को समर्पित और उत्तम रोजगार के अवसर मिल सकें।
निबंध 600-700 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध
भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आई है। बेरोज़गारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखों युवकों के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है, फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है, मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।
हमारे देश में बेरोजगारी जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही हैं। लाखों युवाओं के पास उच्च शिक्षा से संबंधित डिग्रियाँ होने के बावजूद वे अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर पाने में असमर्थ हो रहे हैं। हर दिन युवाएँ इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़ी होती हैं और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल सके।
बेरोज़गारी के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं। ‘ओपन अनरोज़’ एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती, जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। ‘प्रछन्न बेरोज़गारी’ भारतीय कृषि को प्रभावित करती है, जहाँ अधिक श्रमिकों की उत्पादकता शून्य होती है। ‘मौसमी बेरोज़गारी’ कुछ मौसमों में होने वाली बेरोज़गारी होती है, जैसे कृषि और बर्फ कारखानों में। ‘चक्रीय बेरोज़गारी’ व्यापार चक्रों के कारण होती है, जब व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आती है। ‘शिक्षित बेरोज़गारी’ में शिक्षित युवक उचित रोज़गार पाने में असमर्थ होते हैं। ‘आद्योगिक बेरोज़गारी’ में अनपढ़ व्यक्तियों के लिए रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।
भारत में बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण हैं। जनसंख्या की वृद्धि एक प्रमुख कारण है, जो बेरोज़गारी के
अवसरों को और भी कठिन बनाती है। विशेष रूप से युवा वर्ग बढ़ रहा है और उन्हें उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च शिक्षा के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाने की समस्या होती है।
सरकार द्वारा बेरोज़गारी के खिलाफ़ कई पहलुओं का समर्थन किया गया है, जैसे कौशल विकास प्रोग्राम, रोज़गार मित्र योजना, मुद्रा योजना, और नौकरी पोर्टल जैसे पहलुओं की शुरुआत की गई है। ये पहलु सहायक हो सकते हैं, लेकिन बेरोज़गारी की समस्या को हमेशा के लिए हल नहीं कर सकते।
बेरोज़गारी को कम करने के लिए एक सामग्री समाधान शिक्षा में सुधार है। युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता की भावना और नौकरी नहीं सिर्फ नौकरीदाता, बल्कि नौकरी सृजनाता भी बनने की प्रेरणा देनी चाहिए।
इस समस्या का हल ढूँढने के लिए शिक्षा, सरकारी नीतियाँ, और समाज की भागीदारी की आवश्यकता है। बेरोज़गारी को कम करने के लिए एकमात्र सरकारी प्रयास ही काफी नहीं होता है, बल्कि हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
आपके प्रश्न के अनुसार, यहाँ पर बेरोज़गारी पर एक निबंध का प्रतिष्ठान दिया गया है। आप इस निबंध का उपयोग करके अपने प्रोजेक्ट में उपयुक्त जानकारी को शामिल कर सकते हैं।
निबंध 800-1000 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध
भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।
हमारे देश में बेरोजगार जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही है। हमारे देश में नौजवान के पास उच्च शिक्षा संबंधित डिग्रीयां होने के बावजूद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है। हर रोज़ युवक इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़े होते है और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते है ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल जाए। कुछ एक को छोड़कर कई युवको को नौकरी ना मिलने के कारण अपने हाथ मलने पड़ते है।
बेरोजगारी के प्रकार
unemployment – यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती है जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। यह ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ लोग काम करने के लिए इच्छुक है मगर उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। वह लोग काम करने में सक्षम है पर रोजगार नहीं मिल पाता है।
प्रछन्न बेरोजगारी -यह विशेष रूप से भारतीय कृषि परिदृश्य को प्रभावित करता है। इस मामले में आवश्यकता से अधिक श्रमिक खेत पर लगे हुए है , जहाँ सभी वास्तव में उत्पादक बनाने में योगदान नहीं कर रहे है और कई श्रमिकों की उत्पादकता शून्य है। यह तब होता है जब लगभग पूरा परिवार कृषि उत्पादन में संलग्न है। कुछ लोगो के निष्कासन से उत्पादन की मात्रा कम नहीं होती। जनसँख्या में तेज़ी से वृद्धि और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कृषि में भीड़भाड़ को भारत में प्रछन्न बेरोजगारी के मुख्या कारणों के रूप में देखा जा सकता है।
मौसमी बेरोज़गारी -यह बेरोजगारी है जो वर्ष के कुछ मौसमो के दौरान होती है। कुछ उद्योग और व्यवसाय जैसे कृषि और बर्फ कारखानों आदि में उत्पादन गतिविधियां केवल कुछ मौसमो में होती है। इसलिए एक वर्ष में एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार प्रदान करते है। लेकिन बाकी महीनो में इस प्रकार की गतिविधियों में लगे लोग बेरोजगार हो जाते है।
चक्रीय बेरोजगारी -यह नियमित अंतराल पर व्यापार चक्रो के कारण होता है। आमतौर पर पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं व्यापार चक्र के अधीन होती है और व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आने से बेरोजगारी बढ़ती है।
शिक्षित बेरोजगारी -सबसे भयावह तरह की बेरोजगार है जब शिक्षित युवक अपने शिक्षा के अनुरूप उचित रोजगार पाने में असमर्थ है। अच्छे शिक्षित युवक तो है लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि नहीं हो रही है।
आद्योगिक बेरोजगारी -यह अनपढ़ व्यक्ति जो शहरी क्षेत्रों में कारखानों में कार्य करने में इच्छुक और सक्षम है लकिन इस श्रेणी में कार्य नहीं पा सकते है।
भारत में दिन प्रतिदिन बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण है। सबसे प्रमुख है जनसंख्या वृद्धि। भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है। जनसंख्या वृद्धि एक मुख्या समस्या है जो बेरोज़गारी के लिए 100 फीसदी जिम्मेदार है। जितनी ज़्यादा जनसंख्या होगी उतनी ही रोजगार के स्तर पर मुकाबला होगा जिसमे ज़्यादातर लोगो को रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे अर्थात नौकरी के पोस्ट यानी पद कम होंगे और उम्मीदवार ज़्यादा होंगे और गिने चुने लोगो को ही योग्यता अनुसार नौकरी मिलेगी।
आद्योगिक क्षेत्र में बढ़ता मशीनीकरण भी बेरोजगारी का दूसरा प्रमुख कारण है जिसके अंतर्गत एक मशीन चुटकी भर में कई लोगो के काम कर देता है जिससे कई लोग बेरोज़गार के दर पर आकर खड़े हो जाते है। मशीने कम वक़्त में जल्दी कार्य कर सकता है। इसी वजह से लोगो को रोजगार के अवसर मिलना बिलकुल ना के बराबर हो जाते है।
प्रत्येक वर्ष मशीनो के आने से लघु व्यवसाय ठप होने लगे और बेरोजगारी का दल जमा होने लगा। कंप्यूटर का अविष्कार मानवजाति के लिए महत्वपूर्ण है मगर इसने कई लोगो के रोजगार के मौको को भी छीना है।
कभी कभी लोगो को मन मारकर एक ऐसी नौकरी करनी पड़ती है जो उसकी योग्यता अनुसार नहीं है। क्यों की वह यही सोचता है कि कुछ ना करने से तो कुछ करना बेहतर है। इसी कारण उन्हें विवश होकर ऐसी नौकरी करनी पड़ती है।
कभी मनुष्य को नौकरी न मिलने से वह गलत संगत में पड़ जाता है और शार्ट कट से पैसे कमाने के चक्कर में गलत रास्ता पकड़ लेता है। सरकारे आयी और गयी लेकिन बेरोजगारी की समस्या हल होने का नाम ही नहीं लेती है। बेरोजगारी की समस्या चोरी, डैकती और गलत गैरकानूनी चीज़ो का बढ़ावा देती है।
दुनिया में हर देश में बेकारी संबंधित समस्याएं है लेकिन भारत में इस समस्या ने चरम सीमा पकड़ ली है। जनसँख्या वृद्धि जिस रफ़्तार से बढ़ रही है वह दिन दूर नहीं भारत जनसँख्या वृद्धि में पहले पायदान पर खड़ा पाया जाएगा। बेकारी का अगला प्रमुख कारण है शिक्षा प्रणाली। शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है यहाँ बिज़नेस संबंधित शिक्षा का अभाव देखा जा सकता है। विद्यार्थिओं को तकनिकी शिक्षा पर ज़ोर देना चाहिए। प्रैक्टिकल क्षेत्रों पर पढ़ाने की आवश्यकता है ताकि युवक रटे रटाये नागरिक न बने। इंजीनियर तो है पर उन्हें मशीनो पर कार्य करना नहीं आता है।
स्किल डेवेलपमेंट जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए और युवाओं को नविन चीज़ो और वस्तुओं की खोज करने की इच्छाशक्ति प्राप्त हो ताकि देश को तरक्की की राह पर ले जा सके और विदेशी कंपनी हमारे देश के उद्योगों पर निवेश करना चाहे।
घरेलु उद्योगों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित ना किया जाना एक प्रमुख कारण है जिससे बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है। बड़े व्यापारियों को बड़े रकम आसानी से प्राप्त हो जाते है मगर लघु उधोगो पर कोई ध्यान नहीं देता है। आम नागरिको को लघु उद्योगों के लिए निवेश नहीं मिल पाता है जिससे लघु उद्योगों की प्रगति रुक ही जाती है।
समस्याओं का समाधान
हमे अपनी शिक्षण प्रणाली को रोजगार अनुकूलित बनाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा को महत्व देने की आवश्यकता है। जो युवक स्वंग रोजगार करने की चाह रखते है उन्हें क़र्ज़ प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। देश में कल -कारखानों और नए उद्योगों की स्थापना करनी होगी जहाँ बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। सबसे पहले भ्र्ष्टाचार जो पीढ़ियों दर चली आ रही समस्याएं है जिन पर पर रोक लगाना आवश्यक है युवाओं की उम्मीदों को सही दिशा में प्रोत्साहित करना होगा ताकि वह रोज़गार अवसर हेतु नविन विचारो को तय कर सके।
भारत में बेरोजगारी मिटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आये दिन सरकार कई योजनाएं ले आयी है जैसे प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और शिक्षित बेरोजगार लोन योजना जिनका हमे सोच समझकर उपयोग करने की ज़रूरत है। गरीबी की रेखा में जीने वाले लोगो की अशिक्षा को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी होगी।
निष्कर्ष
बेरोजगारी की इन समस्याओं के प्रति सरकार को और अधिक गंभीर होना चाहिए। शिक्षण प्रणाली में सुधार के संग पूरे देश को शिक्षित करना चाहिए ताकि कोई नागरिक रोजगार से वंचित न रहे। जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं पर पूर्णविराम लगाने की आवश्यकता है। भारत की भीषण आबादी बेरोजगार को बढ़ावा देने में सहायक है। सरकार को नयी योजनाओं के साथ प्रशिक्षण केंद्र और शिक्षण व्यवस्था में बदलाव लाने की आवश्यकता है। नए विकास की नीतियों के साथ भारत को आगे बढ़ना है ताकि बेरोजगारी की इस समस्या को जड़ से मिटा सके।