मेरा प्रिय कवि तुलसीदास पर निबंध

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Summary मेरा प्रिय कवि तुलसीदास पर निबंध: तुलसीदास, एक महान भारतीय कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भगवान श्रीराम की महिमा और मानवता के मूल्यों को प्रस्तुत किया। उनकी प्रमुख रचना ‘रामचरितमानस’ एक महाकाव्य है, जिसमें वे भगवान श्रीराम के जीवन और उनके भक्तों की भावनाओं को सुंदरता से चित्रित करते हैं। उनकी कविताएँ धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं को सरल शब्दों में प्रकट करती हैं और सामाजिक संदेशों को प्रस्तुत करती हैं। तुलसीदास जी रचनाएँ आज भी हमें अच्छे आदर्श और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।

मेरा प्रिय कवि तुलसीदास पर निबंध ( ESSAY ON MY FAVOURITE POET TULSIDAS IN HINDI)
मेरा प्रिय कवि तुलसीदास पर निबंध ( ESSAY ON MY FAVOURITE POET TULSIDAS IN HINDI)

मेरा प्रिय कवि तुलसीदास पर निबंध ( ESSAY ON MY FAVOURITE POET TULSIDAS IN HINDI)

प्रस्तावना: हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक, जिनकी रचनाओं ने संस्कृति और भक्ति के अद्भुत संगम को प्रस्तुत किया है, वे हैं महाकवि तुलसीदास। उनके काव्यों में वीरता, भक्ति, और सामाजिक सुधार की शिक्षाएँ छिपी हैं। इस निबंध में, मैं अपने प्रिय कवि तुलसीदास के बारे में विस्तार से चर्चा करने का प्रयास करूँगा।

तुलसीदास का जन्म और जीवन:
तुलसीदास का जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) जिले के राजपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम अत्रि और माता का नाम हुलसी था। उनका नाम पहले गोस्वामी रहा, लेकिन बाद में वे तुलसीदास जी मात्र के रूप में पुकारे जाने लगे।

तुलसीदास की रचनाएँ:
तुलसीदास के लेखन में प्रायः रामकथा और भक्ति भरी रचनाएँ हैं। उनका महत्वपूर्ण काव्य “रामचरितमानस” है, जिसमें वे भगवान श्रीराम के महाकाव्य को लिखते हैं। इस काव्य में भगवान राम की कथाएँ, लीलाएँ, और उनकी महिमा का चित्रण किया गया है।

तुलसीदास की भक्ति:
तुलसीदास का भक्ति से गहरा नाता था और वे संत रूप में भगवान राम की पूजा करते थे। उनके लेखन में राम भक्ति की अद्भुत भावना और अनुष्ठान की प्रेरणा है, जिससे व्यक्ति आत्मा की ऊँचाइयों को पहचानता है।

तुलसीदास के योगदान:
तुलसीदास ने न केवल भक्ति और कविता के क्षेत्र में योगदान किया, बल्कि उन्होंने समाज की सामाजिक समस्याओं का भी संवाद रचा। उनके द्वारा लिखित रचनाएँ समाज में जागरूकता और सुधार की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।

निष्कर्ष:
तुलसीदास का योगदान हिंदी साहित्य के आदर्श और समाज में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण है। उनके भक्ति और साहित्य के संगम में विशेष आदर्श छिपे हैं, जिनसे हम अपने जीवन को सजीव और उद्देश्यमय बना सकते हैं। तुलसीदास जी के काव्यों का अध्ययन करके हम आत्मा की महत्वपूर्णता और मानवता के साथ हमारे आपसी रिश्तों की महत्वपूर्णता को समझ सकते हैं।

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तुलसीदास पर निबंध 400-500 शब्दों में

प्रस्तावना: गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्यिक दुनिया के महान कवि थे। जिनकी कविताएं सौ वर्षों के बाद भी जनमानस का मार्गदर्शन कर रही है। तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था। तिथि के अनुसार उनका जन्म श्रावण शुक्ल को माना जाता है। हालांकि उनके जन्म के विषय में कई विद्वानों में मतभेद भी है। उन्होंने कई भारतीय महत्वपूर्ण तथा प्रसिद्ध पुस्तकों की रचना की। जिसके लिए वह समस्त हिंदुस्तानियों के लिए पूजनीय और स्मरणीय हैं।

तुलसीदास का जीवन परिचय : तुलसीदास के जन्म के विषय में कोई सटीक जानकारी नहीं पाई जाती है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी का जन्म 1599 ईसवी में, बांदा जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे था और माता का नाम हुलसी देवी था। तुलसीदास के माता पिता ने उनके जन्म को अशुभ बताते हुए उन्हें त्याग दिया था। जिस कारण उनका जीवन अत्यंत कष्ट व मुश्किलों से गुजरा था। बचपन में तुलसीदास के मुख से पहला नाम राम निकला, जिसके चलते लोग उन्हें रामबोला कहकर भी पुकारने लगे।

तुलसीदास जी का विवाह रत्नावली नाम की कन्या से हुआ था। अपनी पत्नी का स्नेह मिलने से तुलसीदास को उनसे बेहद मोह हो गया था। इस मोह में उन्होंने अपना कर्म धर्म भी त्याग दिया। अपने पति की इस दशा को देखकर रत्नावली ने उन्हें त्यागने का निर्णय ले लिया और उन्हें अपने कटु वचनों से सद्मार्ग की ओर अग्रसर किया। अपनी पत्नी की कटु टिप्पणी से प्रभावित होकर तुलसीदास ने राम भक्ति को ही अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना लिया। इस लक्ष्य के सफर में ही उन्होंने पवित्र हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस की भी रचना की।

तुलसीदास का साहित्य व समाज में योगदान: तुलसीदास जी ने समाज सुधारने का विशेष कार्य किया। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के साथ-साथ एक समाज सुधारक के रूप में प्रशंसनीय काम किया। भारत की मध्ययुग जब कुप्रथा ने हिंदू समाज में प्रवेश किया तब इन प्रथाओं का विरोध तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के द्वारा किया। इतना ही नहीं जब मूर्तियों को मुस्लिम शासकों द्वारा तोड़ा जा रहा था तब उस समय भी तुलसीदास जी ने अपनी भक्ति को बनाए रखा और समाज के अन्य लोगों को भी अपने धर्म के प्रति जागरूक किया। इस प्रकार समाज सुधारक और हिंदू समाज की रक्षा में तुलसीदास जी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

तुलसीदास की रचनाएं: तुलसीदास की रचना में रामचरितमानस सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख रचना है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई कविताओं की भी रचना की। उन्होंने अपनी रचनाओं में काव्य की सभी रसों को स्थान दिया। संस्कृत के साथ ही उन्होंने राजस्थानी भोजपुरी, बुंदेलखंडी प्राकृत अवधी ब्रज अरबी आदि भाषाओं में भी अपनी कविताओं की रचना की। तुलसीदास की रचनाओं में गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिका, जानकी मंगल, रामलला नहचु, बरवाई, रामायण, वैराग्य, संदीपनी, पार्वती मंगल आदि प्रसिद्ध हैं। हालांकि इनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार रामचरितमानस ग्रंथ रहा है।

निष्कर्ष: तुलसीदास जी एक महान कवि ही नहीं बल्कि एक सच्चे लोकनायक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं से कभी किसी संप्रदाय या विश्वास का खंडन नहीं किया। बल्कि उनकी रचनाओं ने सभी का सम्मान किया और निर्गुण और सगुण धारा की प्रशंसा भी की। इस प्रकार तुलसीदास जी भारतीय संस्कृति के संरक्षक थे। जो अपनी रचनाओं और कार्यों के लिए सदा सम्माननीय और स्मरणीय रहेंगे।

तुलसीदास : हिंदी साहित्य के सूर्य

तुलसीदास हिंदी साहित्य के सूर्य हैं। उनका जन्म 1532 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। उनका बचपन का नाम रामबोला था। उन्होंने अध्यात्म और भक्ति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने रामचरितमानस, विनय पत्रिका, गीतावली, दोहावली आदि जैसी कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखीं।

तुलसीदास की सबसे प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस है। यह एक महाकाव्य है जो रामायण की कथा को अवधी भाषा में प्रस्तुत करता है। रामचरितमानस हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है। यह भारतीय संस्कृति और साहित्य का अमूल्य खजाना है।

तुलसीदास की अन्य रचनाएँ भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। विनय पत्रिका एक आध्यात्मिक ग्रंथ है जिसमें तुलसीदास ने भगवान राम से प्रार्थना की है। गीतावली एक भक्ति गीत संग्रह है जिसमें तुलसीदास ने भगवान राम की महिमा का वर्णन किया है। दोहावली एक दोहे का संग्रह है जिसमें तुलसीदास ने विभिन्न विषयों पर विचार व्यक्त किए हैं।

तुलसीदास को हिंदी साहित्य के सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है। उनकी रचनाएँ अत्यधिक लोकप्रिय हैं और उन्हें व्यापक रूप से पढ़ा और पढ़ाया जाता है। उन्होंने हिंदी साहित्य में भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया। उन्होंने हिंदी भाषा को समृद्ध और विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तुलसीदास एक महान कवि, आध्यात्मिक व्यक्ति और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को भक्ति और सद्गुणों का मार्ग दिखाया। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और कुप्रथाओं का विरोध किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को समृद्ध और विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तुलसीदास का योगदान भारतीय संस्कृति में अद्वितीय है। उन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से भारतीय संस्कृति को समृद्ध और विकसित किया। उन्होंने रामायण की कथा को सरल और सुबोध भाषा में प्रस्तुत किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति में भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को स्थापित किया।

तुलसीदास एक महान संत और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को भक्ति और सद्गुणों का मार्ग दिखाया। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और कुप्रथाओं का विरोध किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को समृद्ध और विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया

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