मेरे प्रिय अध्यापक निबंध, लेख, अनुछेद

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मेरे प्रिय शिक्षक पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Favourite Teacher in Hindi)

#1. [400 words] मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध

कक्षा 6 में रश्मि मैम मेरी सबसे प्रिय अध्यापिका है। वह हमें कक्षा में हिन्दी और कम्प्यूटर पढ़ाती है। उनका व्यक्तित्व एकदम अलग है। वह बहुत मोटी है पर स्वभाव से नम्र है। मैं हर साल शिक्षक दिवस पर उन्हें ग्रीटिंग कार्ड देता हूँ। मैं उनके जन्मदिन पर भी उन्हें हमेशा शुभकामनाएं भी देता हूँ। वह कक्षा में पढ़ाई के दौरान मनोरंजन के लिए कुछ चुटकुले भी सुनाती है और कक्षा की ओर हमारा ध्यान खिंचती है। मैं हिन्दी विषय में बहुत अच्छा नहीं हूँ हालांकि, कम्प्यूटर में बहुत अच्छा करता हूँ। वह हिन्दी भाषा को सुधारने में मेरी बहुत मदद करती है। कक्षा लेने के बाद में, वह हमेशा कुछ प्रश्नों के उत्तर खोजने और याद करने के लिए देती है और उन्हें अगले दिन पूछती है।

वह क्म्प्यूटर के बारे में हमारी अवधारणाओं को अधिक निश्चित और स्पष्ट बनाने के लिए हमें कम्प्यूटर की प्रयोगशाला में ले जाती है। वह पढ़ाते समय बिल्कुल शान्ति पसंद करती है। वह कभी भी अपने कमजोर विद्यार्थी को अपने पढ़ाए हुए पाठ के, समझ न आने पर उसे स्पष्ट किए बिना नहीं छोड़ती है। वह सभी को कक्षा में पढ़े गए विषयों को स्पष्ट करती है और हमें उससे संबंधित प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह कभी भी अगला पाठ तब तक शुरु नहीं करती, जब तक कि हम पिछले वाले को पूरी तरह से नहीं समझ लेते हैं। उनका स्वभाव बहुत ही प्यारा और कक्षा के सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखने वाला है। उनकी कक्षा के दौरान कोई भी झगड़ा या लड़ाई नहीं करता है। उन्होंने अपनी कक्षा में बैठने के लिए सप्ताहिक आधार पर रोटेशन बनाया हुआ है, ताकि कोई भी विद्यार्थी कमजोर न रहे। मेरे सभी मित्र उन्हें पसंद करते हैं और उनकी कक्षा में नियमित रुप से उपस्थित रहते हैं।

वह अतिरिक्त समय देने के माध्यम से कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करती है। वह हमारी पढ़ाई से अलग समस्याओं को भी सुलझाती है। वह हमें पढ़ाई से अलग स्कूल में आयोजित खेलों या अन्य प्रतियोगिताओं में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह मुस्कुराते हुए चहरे के साथ बहुत अच्छी लगती है और सहायता करने वाले स्वभाव की है। वह स्कूल में आयोजित उत्सवों के कार्यक्रमों; जैसे- गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती, शिक्षक दिवस, मातृ दिवस आदि के दौरान हमारी तैयार होने में मदद करती है। कभी-कभी जब पाठ खत्म हो जाता है तो वह हमें पढ़ाई की ओर प्रोत्साहित करने के लिए अपने जीवन के संघर्ष के दिनों के बारे में बताती है। वह बहुत ही मित्रवत व्यवहार की सरल अध्यापिका है। हम उनसे कभी भी नहीं डरते हैं हालांकि, उनका सम्मान बहुत करते हैं।

मेरे प्रिय अध्यापक निबंध, लेख, अनुछेद 1
my Favorite Teacher in hindi writing

#2. [600 words] मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध हिंदी

हमें संसार मे कुछ लोग औरों से बहुत अच्छे लगते है। मानव स्वभाव ही ऐसा होता है। जिससे वो अपने मन मे उनके रहते थोड़ी राहत अनुभव करता है उसके प्रति आकर्षित होता है। और उनकी आवश्यकता अनुभव करता है।

महत्व:- ओर हमारे विद्यार्थी जीवन को बनाने और सँवारने में उसके अध्यापक की भूमिका सबसे बड़ी होती है। कबीर दास जी ने कहा है।

गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है, गढी-गढ़ी काढ़े खोट,
अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहे चोट।

इसका मतलब है। गुरु कुम्हार के समान होता है। जो कच्चे घड़े को आकार देने के लिए उसे अंदर से सहारा देता है। और बहार से हाथ से पिटता है।  ठीक उसी प्रकार अधयापक बाहर से कठोर रहकर भी भीतर से अपने विद्यार्थी के भविष्य की अच्छी कामना करता है।

यही नही हमारे धर्मो , हमारी सभ्यता और संस्कृति में गुरु के महत्व को ईशवर से भी बढ़कर स्थान दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु के ही द्वारा ईशवर का ज्ञान और दर्शन होता है। इसलिए ईशवर से पहले गुरु पूजनीय होते है। इस प्रकार गुरु की महिमा ईशवर के समान है। इस के लिए कबीरदास द्वारा कहा गया दोहा अत्यधिक प्रचलित माना जाता है।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े,काके लागू पाय,।
बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय।।

मेरे प्रिय अध्यापक का नाम:- मेरी दसवीं क्लास में कई अनेक अधयापक आये पर मेरे संपर्क में मेरे विज्ञान के अध्यापक सचिन दास सर से में बहुत अधिक प्रभावित हुआ हूँ। क्योंकि उनके व्यक्तित्व का प्रभाव और उनके पढ़ाने का तरीका मेरे मन मे गहरा छाप छोड़ता है।

उनकी योग्यता:- पढ़ाने की दृष्टि से उनका कोई जबाव नही है। वो अपने विषय के बारे में इतनी गहराई ओर विस्तार से समझाते है। कि छत्रों को कहि अन्य जगह भटकने की आवश्यकता नही पड़ती । वो एक एक लेसन को बहुत ही अच्छी तरह से समझाकर विषय से हमे परिचित करवा देते है। मुझे उनका पढ़ाना बहुत भाता है।

उनकी महानता:- मेने उन्हें कभी भी क्रोध में उबलते या तीव्र स्वर में किसी भी विद्यार्थी को डांटते हुए नही देखा है। यदि उन्हें किसी की गलती पर क्रोध आ भी जाता है। तो छात्र को पहले आराम से गंभीरतापूर्वक समझाते है। तथा उसे सही गलत के बारे में बताते है। उनकी आँखों की स्नेह और गम्भीरता ही छात्र के लिए डांट का प्रयाय बन जाते है।

समय का महत्व:- उनका मानना है। कि प्रतेक कार्य के  लिए समय को अत्यधिक महत्व देना चाहिए। और वो समय के अत्यंत पाबंद है। कभी भी समय का दुरुपयोग नही करते है। समय पर कक्षा में आते है। तथा अपने विषय को गम्भीरता से पढ़ाते है। सबसे बड़ी बात यह है कि वो केवल अपने विषय तक ही सीमित नही रहते है। विद्यार्थी की अनेक व्यक्तिगत और मानसिक समस्याओं का समाधान भी करते है। मेने उन्हें कभी भी सिगरेट पीते या किसी विद्यार्थी को अपशब्द कहते नही सुना है।

वह केवल एक पुस्तक पढ़ाने में ही विशवास नहीं रखते अपितु उसको प्रैक्टिकल करके भी बताते है। और लिखित कार्य को भी बहुत लगन ओर ध्यान से देखते है। तथा गलतियों का सुधार भी करवाते है।

उपसंहार:- इस प्रकार हमारे प्रिय अध्यापक महोदय सर्वक्षेष्ठ अध्यापको में से एक है। उनका कार्य और गुण न केवल मुझे ही प्रभावित करते है। अपितु पूरे स्कूल के अध्यापक ओर विद्यार्थियों को भी प्रभावित करते है। इस आधार पर हम कह सकते है। कि मेरे प्रिय अध्यापक एक ऐसे आदर्श अध्यापक है, जिन पर हम बहुत गर्व करते है। उनसे हमारा विद्यालय बहुत ही गर्वित ओर हर्षित होता है। इस प्रकार मेरे अध्यापक अत्यंत महान ओर प्रशंसनीय है इनसे निश्चय ही एक सफल और आदर्श बनने की प्रेरणा मिलती है।


#3. [700 words] मेरे प्रिय अध्यापक निबंध इन हिंदी mere priya adhyapak hindi essay

सभी अध्यापकों का व्यवहार मेरे प्रति अच्छा होते हुए भी मुझे अंग्रेज़ी के अध्यापक सबसे अच्छे और प्रिय लगते हैं। इसका एक कारण तो यह
हो सकता है कि उनका बाहरी व्यक्तित्व जितना सुन्दर और आकर्षक है, उनकी बोलचाल, व्यवहार और अध्यापन का ढंग भी उतना ही सुन्दर है। वह जो भी पढ़ाते हैं, उसका एक चित्र-सा खड़ा कर विषय को साकार कर देते हैं। उनका पढ़ाया और समझाया गया पाठ छात्र कभी नहीं भूलते। मेरे इन अध्यापक का चेहरा हमेशा एक निर्मल मुस्कान से खिला रहता है। मैंने उन्हें कभी भी कक्षा के बाहर या अंदर बेकार की बातें करते हुए सुना है, न देखा है। उनकी वेशभूषा भी उनके व्यक्तित्व के अनुरूप फबने वाली होती है-एकदम उनके विचारों की तरह सीधी-सादी।

हमारी प्रात:कालीन, साप्ताहिक या मासिक सभाओं में जब कभी वह कुछ बोलने या भाषण देने आते हैं तो बाकी सब कुछ भूलकर छात्र सिर्फ उन्हीं को सुनते हैं। सचमुच, यदि सभी अध्यापक उनके जैसे आदर्श वाले हो जाएँ। तो सभी छात्रों का बहुत भला हो सकता है। और आजकल अध्यापक वर्ग पर जो कई प्रकार के लांछन लगाए जाते रहते हैं, उनका निवारण भी सरलता से संभव हो सकता है।

मेरे प्रिय अध्यापक मृदुभाषी हैं । उनकी मधुर बोली से विद्यार्थी ही नहीं, उनके सहयोगी भी प्रभावित होते हैं । विद्‌यालय में उनका बहुत सम्मान किया जाता है । विद्‌यालय की ओर से जब कभी शैक्षिक भ्रमण का कार्यक्रम आयोजित होता है वे हमेशा साथ जाते हैं । उनकी उपस्थिति मात्र से ही विद्‌यार्थी सहज और अनुशासित हो जाते हैं । वे विद्‌यार्थियों को शारीरिक दंड देने में विश्वास नहीं रखते । वे हमें कहते हैं-गलतियाँ करो नई-नई गलतियाँ करो उसी से सीखोगे लेकिन एक ही गलती को बार-बार मत दोहराओ । जो एक ही गलती को बार-बार दोहराते हैं वे मूढ़ होते हैं ।

विद्‌यार्थियों के ऊपर इस तरह के प्रेरणादायी वाक्यों का जादू का सा असर होता है ।

ऐसे आदर्श अध्यापक का आशीर्वाद पाकर किसे गर्व नहीं होगा । वे विद्‌यार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेद- भाव नहीं करते । सबको समान दृष्टि से देखते हैं । निर्धन तथा मेधावी छात्रों को वे विद्‌यालय की ओर से उचित सहूलियतें दिलवाते हैं । वे विद्‌यार्थियों को स्वास्थ्यप्रद आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं । कक्षा और विद्‌यालय कर सफाई पर भी उनकी दृष्टि रहती है । वे हमें सकारात्मक सोच रखने तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं ।

समाज में गुरु का स्थान-प्राचीन काल में हमारे समाज में गुरु का महत्व सर्वोपरि रहा हैं. गुरु, आचार्य, शिक्षक या अध्यापक ये सभी समानार्थी शब्द हैं. अध्यापक एक ऐसा कलाकार होता हैं, जो अपने शिष्यों के व्यक्तित्व का निर्माण बड़ी सहजता और कुशलता से करता हैं. हमारे मन के अज्ञान को दूर कर उसमें ज्ञान का आलोक फैलाने वाला गुरु ही होता हैं.

परमात्मा का साक्षात्कार भी गुरु की कृपा से ही हो सकता हैं. इसी विशेषता के कारण कबीरदास आदि संत कवियों ने गुरु की कृपा से ही हो सकता हैं. इसी विशेषता के कारण कबीरदास अदि संत कवियों ने गुरु की सर्वप्रथम वन्दना की और गुरु को ईश्वर से भी बड़ा बताया. वस्तुतः मानव जीवन का निर्माता हमारे समाज और राष्ट्र का निर्माता गुरु या अध्यापक ही होता हैं.

मेरे प्रिय अध्यापक का अनुकरणीय जीवन– मेरे प्रिय अध्यापक की दिनचर्या अनुकरणीय हैं. वे प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर नियमित रूप से भ्रमण के लिए जाते हैं. फिर स्नानादि कर पूजा करते हैं और भोजन करके विद्यालय आ जाते हैं. विद्यालय की प्रार्थना सभा का संचालन वे ही करते हैं. प्रार्थना के बाद पांच मिनट के लिए वे प्रतिदिन नयें नयें विषयों को लेकर शिक्षापूर्ण व्याख्यान देते हैं.

तत्पश्चात वे अपने कालांशों में नियमित रूप से अध्यापन कराते हैं. पाठ का सार बतलाना, उससे संबंधित गृहकार्य देना, पहले दिए गये गृहकार्य की जांच करना, मौखिक प्रश्नोतर करना तथा अन्य संबंधित बातों का उल्लेख करना उनका पाठन शैली की विशेषताएँ हैं. सायंकाल घर में आकर स्वाध्याय करते हैं. रविवार के दिन वे अभिभावकों से सम्पर्क करने की कोशिश करते हैं. तथा एक आध घंटा समाज सेवा में लगाते हैं. इस तरह अध्यापकजी की दिनचर्या नियमित और निर्धारित हैं.


#4. [800 words] Long Essay- मेरे प्रिय अध्यापक पर निबंध – Hindi Essay on My Favorite Teacher

जिन्दगी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ,हमारे अध्यापक। अध्यापक ना केवल हमें शिक्षा प्रदान करते है , बल्कि हमारे व्यक्तित्व को निखारते है। हमें जिन्दगी में एक सभ्य नागरिक बनाने का श्रेय अध्यापक को जाता है। अध्यापक विद्यार्थियों के जीवन के मार्ग दर्शक होते है। मेरे प्रिय अध्यापक मेरे हिंदी शिक्षक है । अभी मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ती हूँ।

मेरे प्रिय शिक्षक बड़े सरल ढंग से पढ़ाते है। ऐसे पढ़ाते है कि सारा पाठ आसानी से समझ आ जाता है। वह हिंदी विषय को बड़ी सरलता से पढ़ाते है। उनका नाम श्रीमान रवींन्द्र कुमार दुबे जी है। हिंदी व्याकरण संबंधित हर पाठ को उदाहरण के संग आसान तरीके से समझाते है। इसके कारण हमे पाठ पढ़ने में बड़ा मज़ा आता है। कभी भी कुछ समझ ना आये , तो बेझिझक उनसे सवाल पूछ सकते है। कोई भी शंका यानी डाउट हो , तो अध्यापक जी आसानी से उसे दूर कर देते है। वह हमेशा सरल , सहज भाषा का उपयोग करते है , ताकि बच्चो को जल्द समझ आये। इससे लेक्चर बड़ा मज़ेदार हो जाता है। कक्षा में, कठिन कविताओं का भावार्थ उनके पढ़ाने से और अधिक सरल हो जाता है।

वे बहुत ही लम्बे है और उनके मुख पर हमेशा एक मुस्कराहट रहती है। उनमे बहुत संयम है। वे बेहद विनम्र है और सभी से नम्रतापूर्वक बातें करते है। मेरे प्रिय हिंदी शिक्षक कक्षा के अध्यापक भी है। जब भी कक्षा में प्रवेश करते है , वे गंभीरता पूर्वक सबकी उपस्थिति के बारें में पूछते है। वे पढ़ाने के लिए रोचक तरीको का प्रयोग करते है। पहले पूरा पाठ समझाते है और फिर हमसे प्रश्न पूछते है कि हमने पाठ को कितना समझा है।

वह नियमित रूप से हमारी परीक्षा लेते है। जो कक्षा में अच्छा प्रदर्शन करता है , उन्हें कलम या मिठाई देते है। मेरा हिंदी प्रिय विषय है और अक्सर मेरे अच्छे अंक आते है | इसलिए सर मुझे पसंद करते है। सर मुझे हर चीज़ के लिए प्रोत्साहित करते है। उनका आर्शीवाद बना रहा है तो मैं अपनी बारहवीं परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करुँगी। वह छात्रों को उतना ही गृहकार्य देते है , जितना कि वह पूरा कर सके।

वह हमेशा सभी बच्चो को कुछ नया करने की प्रेरणा देते है। किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता और परीक्षा में बच्चो को प्रोत्साहित करते है। क्यूंकि वह सबसे प्रिय अध्यापक है मेरे , इसलिए उनके जन्मदिन और शिक्षक दिवस पर मैं उन्हें गिफ्ट देती हूँ। उनका पाँव छूकर आशीर्वाद लेती हूँ।

परीक्षा में जितनी गलतियां होती है हमसे , वह सभी को बारी बारी से उसे समझा देते है। ऐसा इसलिए कि बाद में चलकर वह एक ही गलती दुबारा ना हो। जब कोई खाली कालखंड होता है , वह थोड़े मज़ेदार और हंसी वाली बातें करते है। वह कभी कभी अपने जिन्दगी के अहम पहलुओं को हमसे साझा करते है।

अध्यापक जी तब तक नया पाठ आरम्भ नहीं करते है , जब तक पुराने पाठ का परीक्षा ना हो जाए | ऐसा इसलिए कि बच्चो को कितना समझ आया , उन्हें अच्छे से पता चलता है | जब वे पढ़ाते है तो कोई भी विद्यार्थी आपस में बात नहीं करते है | सभी मन लगाकर पढ़ते है , क्यों कि उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा है |मेरे सभी सहपाठी उनका बहुत सम्मान करते है और उनके कक्षा के समय सभी मौजूद रहते है |

हमे पाठ अच्छे से याद रहे , इसके लिए हमारे कक्षा और हिंदी के अध्यापक अक्सर हमसे सवाल पूछते रहते है। वह हमेशा हमे समझकर पढ़ने के लिए कहते है। वह रटने की प्रक्रिया को अधिक पसंद नहीं करते है। वे हमेशा कहते है कि रटने की प्रक्रिया से ज्ञान का विकास नहीं होता है। सर हमेशा सभी बच्चो को समान समझते है। सभी पर बराबर ध्यान देते है |जो पढ़ाई में कमज़ोर होते है , उन्हें अतिरिक्त यानी एक्स्ट्रा क्लास में बुलाकर समझाते है। वे बहुत अनुशासन प्रिय है और समय का महत्व हमेशा हमे समझाते है। सर इतना अच्छा हिंदी पढ़ाते है , कि किसी भी विद्यार्थी को ट्यूशन की ज़रूरत नही होती है। कक्षा में ही बच्चो को सब कुछ समझ आ जाता है।

शिक्षक जी हमेशा सभी उत्सवों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते है। सभी प्रकार के कार्यक्रम जैसे शिक्षक दिवस , गणतंत्र दिवस , गांधी जयंती की तैयारी में सर जी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है। यह सभी कार्यक्रम विद्यालय में होते है। कभी भी समय मिला तो वह अपने जीवन से संबंधित अच्छे बुरे अनुभवों को हमेशा साझा करते है। इससे हमे जिन्दगी का सामना कैसे करना है , वह पता चलता है। शिक्षक बच्चो को सही राह चुनने में मदद करते है। सर भी मेरे रोल मॉडल है। वह समस्त विद्यालय के आदर्श अध्यापक है। ऐसे आदर्श अध्यापक कम मिलते है। वह बच्चो को आगे के जीवन के लिए तैयार करते है , ताकि वह एक योग्य जीवन जी सके।

निष्कर्ष

जब वक़्त मिलता है , तब अध्यापक जी पढ़ाई से हटकर , खेल कूद जैसे कार्यक्रम भी आयोजित करते है। सभी विद्यार्थियों के साथ वह घुल मिलकर रहते है। अध्यापक जी हमेशा विद्यार्थियों की मदद करते है। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानती हूँ कि ऐसे अच्छे शिक्षक मुझे मिले जो हमारे मार्ग दर्शक है।

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