प्लास्टिक वरदान या अभिशाप

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“मैं एक छोटी सी अपेक्षा आज आपके सामने रखना चाहता हूँ क्या ०२ अक्टूबर को हम भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए पहल कर सकते हैं?जहाँ भी प्लास्टिक पड़ा हो उसे इकठ्ठा करे, नगरपालकायें, महानगरालिकाएँ ग्राम पंचायतें सब इसको जमा करने की व्यवस्था करें। ” श्री नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री)

यदि भारत का मुखिया इस समस्या के प्रति गंभीर है तो इसका तात्पर्य यह है की प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव ने विभिषक रूप ले लिया है, २० सदी में हुआ प्लास्टिक काअविष्कार आज अभिशाप बनता जा रहा है, प्लास्टिक एवं उससे बनी वस्तुओं का मनुष्य आदि हो गया है, फिर तो चाहे घर की बात हो या बाहर की।

कहते है की ईश्वर हर जगहं विद्यमान है लेकिन ऐसा लगता है की प्लास्टिक ने उनकी जगह ले ली है, दुनिया का कोई भी ऐसा कोना नहीं है जहाँ प्लास्टिक ने विनाश न मचाया हो फिर तो चाहे वो धरती, वायु, और जल ही क्यों न हो। प्लास्टिक का प्रयोग न केवल हमारे लिए अपितु पर्यावरण के लिए भी विनाशकारी साबित हो रहा है एक तरफ तो वो वातावरण को प्रदूषित कर रहा है और दूसरी तरफ धरती के भीतर जल को, प्लास्टिक के जलाने से उत्पन्न धुएं से ओजोन परत को भी काफी नुकसान होता है जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग जैसी कठिन समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

वास्तव में सिंगल यूज प्लास्टिक(प्लास्टिक की गिलास, प्लेट,  प्लास्टिक की बोतल, स्ट्रॉ ) इत्यादि ही इस समस्या का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है, ये दीखते तो बहुत छोटे से हैं पर इनका प्रभाव बहुत ही विनाशकारी होता है क्यूंकि ये दुबारा किसी भी तरह से उपयोग में लाये नहीं जा सकते हैं, इसकी प्रवृति कुछ ऐसी है की यदि यह पृथ्वी पे रहा तो जानवरों के पेट से लेकर नदी-नालों को जाम कर देगा और यदि इसे जलाया गया तो इससे उत्पन्न धुआं वातावरण को प्रदूषित कर देगा।

भारत के बहुत से ऐसे राज्य उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, झारखण्ड, ओडिशा हैं जिन्होंने प्लास्टिक पे प्रतिबन्ध लगा दिया है, फिर भी सरकारें पूर्ण रूप से इसके उपयोग होने को रोक नहीं पा रही हैं, लोग चोरी-छुप्पे इसका प्रयोग कर रहे हैं, भारत का ही एक राज्य है सिक्किम जहाँ पे प्लास्टिक प्रतिबन्ध को गंभीरता से सरकार एवं उस राज्य के नागरिको द्वारा लिया गया और आज सिक्किम प्लास्टिक मुक्त राज्य हो गया है, हालांकि सिक्किम की जनसँख्या और राज्यों की अपेक्षा कम है फिर भी अगर आप किसी भी कार्य को करने के लिए दृंढ संकल्प हैं तो आप निश्चित रूप से उस कार्य को कर जायेंगे फिर चाहे वो कितना भी मुश्किल क्यों न हो और वो इस राज्य ने कर दिखाया।

आज हमे भी इसी दृण्डसंकल्पता की जरुरत है इस समस्या से लड़ने के लिए यही सही समय है, यदि समय हमारे हाथ से अभी निकल गया तो हम इस समस्या को महामारी का रूप लेने से नहीं रोक पाएंगे, अतः हमारा कर्तव्य ही नहीं अपितु धर्म भी है कि हम इस पहल में अपना प्रभावी योगदान दे, हमने जो स्वच्छ भारत का सपना देखा है उसको साकार करने के लिए सर्वप्रथम हमे अपने देश को प्लास्टिक मुक्त करना होगा अन्यथा ये सपना एक कोरी कल्पना मात्र रह जायेगा, हम हमेशा ये मान के चलते हैं की ये सब करना सरकार का काम परन्तु हमे ये ज्ञात होना चाहिए की सरकार को तो हमने ही चुना है, एक देश का नागरिक होने के नाते इस गंभीर संकट से लड़ने की जिम्मेदारी हम सब की है।

भारत सवा सौ करोड़ जनसँख्या वाला देश है, जहाँ प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग करना लोगो की आवश्यकता भी है और मजबूरी भी, भारत में प्लास्टिक पे एकदम से प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल तो है पर असंभव नहीं, यह कार्य एक सुनियोजित तरीके से ही किया जा सकता है यदि हम स्वयं से ही सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करना बंद कर दे तो काफी हद तक हम इस समस्या पर विजय प्राप्त कर पाएंगे जो फिलहाल अजेय प्रतीत हो रही है। 

अंततः मैं यही कहना चाहूंगी की प्लास्टिक न केवल मनुष्य जाति अपितु जीव- जन्तुओं के लिए बहुत हानिकारक है और इसकी रोक थाम से ही इससे निजात पायी जा सकती है, आज देश के हर नागरिक को प्लास्टिक के उपयोग से बचना चाहिए तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

जागृति अस्थाना-लेखक

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