सेल्फी एक मनोरोग

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सेल्फी पर निबंध

सेल्फी का अर्थ
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सेल्फी का अर्थ होता है .आप के द्वारा ही लिया गया पिक्चर .

सेल्फी क्या है
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सेल्फी एक सेल्फ प्रोटेट फोटोग्राफ है .यह आमतोर पर स्मार्टफोन के फ्रंट कैमरा से लिया जाता है .जिसके लिए स्मार्टफोन को हाथ से पकड़ा जाता है .या एक फोटो स्टिक द्वारा स्पोर्ट दिया जाता है .

सेल्फी एक ऐसा नाम है .जिसका नाम हमे आज अक्सर सुनने को मिलता है .जबसे ये सेल्फी खिंचने का शोक बड़ गया है .आजकल सेल्फी खींचना लोगो की आदत में शुमार हो गया है .क्या बच्चे क्या बूजुर्ग और क्या जवान ,सभी इस आदत से ग्रसित है .

सेल्फी से मानसिक नुक्सान
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अगर कोई भी व्यक्ति सेल्फी का अत्यधिक दीवाना है .तो सावधान हो जाना चाहिए ये एक प्रकार से मनग का लक्षण साबित हो रहा है .अमेरिका में साइकेट्रिक ऐसोसिएशन की शिकांगो में कहा गया की दिन में अगर हम तीन से चार बार सेल्फी लेते है .तो ये सामान्य होता है .मगर दस से बिस सेल्फी लेने वाला (सेल्फाइटिस ) बीमारी से ग्रस्त हो सकता है .इसे ‘सेल्फी सिडोम’ ( कजेनाइटिस बिहेवियर डिजीज ) भी कहा जाता है .इंडियन साइकेट्रिक एसोसियशन के सदस्यों द्वारा एक कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उन्होंने इस ‘सेल्फाइटिस ‘के खतरों पर चर्चा की उनके अनुसार युवाओं में बढ़ती सेल्फी की आदत को एक गंभीर बात कही ईबहास के मनोचिकित्सक डॉ.ओमप्रकाश ने बताया की 80% को पता नहीं की उन्हें व्यवहार सम्बन्धी कोई दिक्कत है .18 से लेकर 30 साल के युवाओं यह सिंड्रोम अधिक देखा गया है .

कम से कम कितनी सेल्फी लेने के प्रभाव
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दिन में कम से कम तीन बार:
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-सेल्फी लेना सामान्य कहलाता है .और यदि इसको सोशल मीडिया पर पोस्ट करते है .तो ये एक सामान्य व्यवहार है .बल्कि इसमें सेल्फी लेने वाले को ख़ुशी मिलती है .

आठ से दस बार :
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यदि आठ से दस बार सेल्फी लेना एक गंभीर लक्षण माने जाते है .ऐसे व्यक्ति पोस्ट के बाद कमेंट्स के लिए बेचैन रहते है .लाइक न मिलने पर मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाता है .

दस से पंद्रह :
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फोटो यानी बहुत ही गंभीर सेल्फाइटिस ,इस श्रेणी के लोग चुनौती पूर्ण जगहों पर भी सेल्फी लेने से नहीं हिचकिचाते है .और खतरनाक जगहों पर भी सेल्फी लेते है .

सेल्फी से शारीरिक नुकसान
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(1) सेल्फी एल्बो :- दिन भर सेल्फी लेने से लोग सेल्फी एल्बो जैसी बीमारी से पीड़ित हो सकते है .क्युकि बार – बार सेल्फी लेने से व्यक्ति की कोहनी इससे प्रभावित होती है .

(2), चेहरे पर आ सकते है .असमय झुरिया आ सकती है .केमरे से निकलने वाले निले रंग के हानिकारक रेडियशन त्वचा में मोजूद डी.एन.ए.पर प्रभाव डालता है .

(3) मानसिक रूप से बीमार बनाता है :-
सेल्फी की आदत सेल्फी लेने वाले व्यक्ति को मॉनसिक रूप से बीमार देता है .

(4) खतरनाक जगह पर जाना मृत्यु को निमंत्रण :-
आपने ऊपर पड़ ही लिया होंगा की सेल्फी की लत व्यक्ति को अंधा कर देती है .और उसकी जान तक इसमें चली जाती है .

सेल्फी के चलते एम्स में ईलाज़
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एम्स में सोशल मीडिया से ग्रस्त स्मार्टफोन की ‘लत ‘वाले मरीजों का इलाज करने के लिए पहली बार ओपीडी लगाई जाएँगी .
मनोचिकित्सा विभाग द्वारा इनका इलाज सप्ताह के एक दिन करना शुरू किया गया है .इसकी जरूरत क्यु पड़ी इस पर एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.डी.के.शर्मा ने बताया की मनोचिकित्सक ओपीडी में इस बीमारी से ग्रसित मरीज आने लगे जिस वजह से हमे सेल्फी से ग्रसित लोगो के लिए एक नय की शुरुआत करनी पड़ी .

सेल्फी शब्द अब शब्दकोश में भी शामिल
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ऑक्सफोर्ड के शब्दकोश में भी सेल्फाइटिस को शामिल किया गया है .फिलीपींस के मकाती शहर को सेल्फाइटिस की ‘ राजधानी ‘ माना गया है .क्युकि यहाँ सबसे अधिक सेल्फी ली जाती है .

सेल्फी से दुर्घटनाए
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सेल्फी से जुडी बेहद दुःखद घटनाये घट रही है .ए घटना उत्तरप्रदेश के कानपुर की गंगा बैराज की है .जहाँ विद्यार्धी मस्ती करने गए थे.सेल्फी का चस्का उनके लिए इतना भारी पड़ा कर में सात लोगो की डूबकर मृत्यु हो गई .और ऐसी घटना केवल उत्तरप्रदेश की ही नहीं देश में कहि भी सुनने को आजकल मिल जाती है .ये पुरे भारत के साथ – साथ पूरी दुनिया पर ही इसकी बोहोत गंभीर प्रभाव पड़ा है .सेल्फी लेते वक्त सेल्फी लेने वाला भूल जाता है .की इसकी बोहोत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है .और कभी – कभी इससे जान की भी हानि हो सकती है .लोग सेल्फी के चक्कर में इस कदर प हो जाते है .की अपनी झूठी शान दिखावे की चक्कर में खतरनाक स्थानों पर भी जाकर सेल्फी लेते है .और अपनी जिन्दगी से हाथ धो बैठते है .लगभग 9.30 करोड़ सेल्फी हर दिन पूरी दुनिया भी ली जाती है .भारत में भी इसका क्रेज दिन व दिन बड़ रहा है जिससे दुर्घटनाये भी ही रही है .लोग खतरनाक जगहों पर और कभी – कभी तो चलती गाड़ियों से झांककर सेल्फी लेते है .जिससे गंभीर दुर्घटनाये घटित होती है .स्मार्टफोन कल्चर के दौर में इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला है .क्युकि सेल्फी लेना फ्रंट कैमरे से मुमकिन होता.जिसकी वजह से सेल्फी की लत व्यक्ति के जीवन की आखरी फोटोना देता है .

उपसंहार
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साइंस ने और टेक्नॉलॉजी ने काफी तरक्की की है .और टेक्नॉलॉजी भी बढ़ गई है .पर कहते है ना हर चीज की लत अच्छी नहीं होती हर चीज की एक लिमिट होनी चाहिए इसलिए सेल्फी लेते वक्त व्यक्ति को अपने आस -पास का ध्यान रखना चाहिए सेल्फी या फिर किसी भी टेक्नोलॉजी का अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए .जिसको हम इंसानो ने बनाया आशचर्य की .की वहीं चीज एक दिन हमारी जान लेले इससे अच्छा है .की ऐसी टेक्नोली का ईजाद ही नहीं किया जाए अगर ईजाद हो भी तो उससे बचने का उपाए भी बताया जाये जैसे सेल्फी लेना एक बोहोत ही अच्छी और ख़ुशी प्रभावित करती है .जब हम इसे लेते है .परन्तु ऐसी टेक्नोलॉजी से व्यक्ति अपने परिवार से अलग होता जा रहा है .माना सेल्फी लेना बोहोत अच्छी बात है .पर इसे एक मनोरोग ना बनाये जो की जीवन की आखरी फोटो बना दे .

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