नारी का सम्मान हिंदी निबंध

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निबंध- नारी के प्रति सम्मान की भावना, नारी का सम्मान पर निबंध।

 ” में कवि की कविता कामिनी हूं
मैं चित्रकार का रूचिर चित्र.
में जगत – नाट्य की रसाधार अभिलाषा मानव की विचित्र।। 

ब्रह्मा के पश्चात इस भूतल पर मानव को वितरित करने वाली नारी का स्थान सर्वोपरि है। नारी-  मां, बहन, पुत्री एवं पत्नी के रूपों में रहती है। मानव का समाज से संबंध स्थापित करने वाली नारी होती है। किंतु दुर्भाग्य है कि इस जगत धात्री को समुचित सम्मान ना देकर उसने प्रारंभ से ही अपने वशीभूत रखने का प्रयत्न किया है।नारी के रूप को देवी का प्रतीक मानते है । इसका सम्मान पूरे संसार को बदलने की क्षमता रखता है। नारी को माँ-दुर्गा, माँ सरस्वती ओर माँ-लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।

प्राचीन भारत में नारी:- प्राचीन भारत में नारी की स्थिति अच्छी थी। वैदिक काल में नारी का सम्मानजनक स्थान था। रोमसा, लोपामुद्रा अधिकारियों ने ऋग्वेद के सूक्तो को रचा, तो कैकई , मंदोदरी आदि की वीरता एवं विवेकशील का विख्यात है। सीता, अनुसुइया, सुलोचना आदि के आदर्शों को आज भी स्वीकार किया जाता है।महाभारत काल की गांधारी, कुंती द्रोपति के महत्व को भुलाया नहीं जा सकता उस काल में नारी वंदनीय रही है। प्रचीन भारत मे नारी ब्रह्माचार्य का पालन करते हुए शिक्षा ग्रहण करती थी। तत्पश्चात अपना विवाह रचाती थी। ईशा से 500 साल पूर्व व्याकरण पारणी द्वारा पता चला है कि नारी उस समय वेद अध्यन भी करती थी।उन्हें स्त्रोतों की रचना करती थी और ब्रह्मा वादिनी कहि जाती थी। प्राचीन भारत में नारी और पुरुष को बराबर ही समझा जाता था और एक समान सम्मान प्रदान किया जाता था।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।”

मनुस्मृति के वचन अनुसार:- जहां स्त्री जाति का आदर सम्मान होता है उनकी आवश्यकता और अपेक्षाओं की पूर्ति होती है उस स्थान, समाज ,परिवार पर देवता गण प्रसन्न रहते हैं। जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कार का व्यवहार किया जाता है वहां देव कृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किए गए कार्य सफल नहीं होते।

मध्यकाल में नारी की स्थिति:- मध्यकालीन नारी के लिए अभिशाप बन कर आया। मुगलो के आक्रमण के फलस्वरूप नारी की करुण कहानी का प्रारंभ हुआ मुगल शासकों की कामुकता ने उसे भोग की वस्तु बना दिया वह घर की सीमा में ही बन्दी बनकर रह गई थी। वह पुरुष पर आश्रित होकर अबला बन गई थी।

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यहीकहानी.

आंचल में है दूध और आंखों में है पानी.”

भक्तिकाल में भी नारी को समुचित सम्मान ना मिल सका सीता, राधा, जी के आदर्श रूपो के अतिरिक्त नारियोको कबीर, तुलसी आदि कवियों ने नागिन, भस्म करने वाली तथा पतन की ओर ले जाने वाली माना है। रिटीकाम में तो वो पुरुष के हाथों का खिलौना बनकर रह गई थी।

प्राचीन भारत मे महिलाओं का स्थान:- प्राचीन भारत मे महिलाएं का स्थान समाज मे काफी महत्वपूर्ण था। महिलाएं भी पुरुषों के साथ यज्ञों में भाग लेती थी, युधो में जाति थी, शाश्त्रार्थ करती थी। धीरे-धीरे महिलाओं का स्थान पुरुषों के बाद निर्धारित किया गया तथा पुरुषों ने महिलाओं के लिए मनमाने नियम बनाये ओर उनको अपना जीवन बिताने के लिए पिता, पति तथा पुत्र का सहारा लेने की प्रेरणा फैल गई। आज से शताब्दियों पूर्व स्त्रियों को अपना पति चुनने की स्वतंत्रता थी। पिता स्वयम्वर सभाओं का आयोजन करते थे, जिसमे लड़की अपनी इच्छा से अपने पति का वर्ण करती थी। इस प्रकार की सुविधाएं इसलिए दी गई थी, कि वे शिक्षित थी और अपना अच्छा तथा बुरा वे सही ढंग से सोचने में सक्षम थी। मुगलो के शासनकाल में शिक्षा, कला, साहित्य तथा अन्य विविध गुणों को प्राप्त करने की परिस्थितिया मिट सी गई थी।

आधुनिक काल नारी चेतना तथा नारी उद्धार का काल रहा है। राजा राममोहन राय, महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी आदि ने नारी को गरिमामय में बनाने का सफल प्रयास किया। कविवर पन्त के शब्दों में जन-मन ने कहा

“मुक्त करो नारी को मानव ,चिर वंदनी नारी को ।
युग – युग की निर्मम कारा से ,जननी ,सखी,प्यारी को।”

वस्तुतः स्त्री तथा पुरुष जीवन के रथ के दो पहिए हैं। नारी तथा पुरुष का एकतत्व सार्थक मानव जीवन का आदर्श है ।अतः उसे बंदनी मानना भूल है।

आज की नारी पुरुष से बराबरी से चल रही है। महिलाएं सातवें आसमान पर झंडा गाड़ कर कल्पना चावला बन रही है। किरण बेदी बनकर अपराधियों को पकड़ रही है।अरुणा राय और मेघा पाटकर बनकर सामाजिक अन्याय से जूझ रही है। प्रतिभा पाटिल जैसे सर्वोच्च पद पर आसीन है। आज की नारी वदूष बनकर लोकसभा की सदारत कर रही है। ओर भी कई ऐसी नारिया है जो सम्मानीय है। जैसे मदर टेरेसा, लता मंगेशकर बनकर भारत रत्न तक प्राप्त कर रही है। आज की नारी हर क्षेत्र में सम्मान प्राप्त कर रही है। और पुरुष के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

नारी का सम्मानीय स्थान होना चाहिए उसके प्रति पुरुष प्रधान समाज को सम्मान की दृष्टि रखना चाहिए, नारी  को अपने से कम नहीं समझना चाहिए। आज पूरे विश्व में 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है माँ का, माँ जिसे ईशवर से भी बढ़कर माना जाता है तो माँ का सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए। माना आज की संतान अपने मां को इतना महत्व नहीं देती जो कि गलत है।

आज की नारी घर के कामकाज के अलावा पढ़ लिख कर दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है घर के कामकाज ओर नोकरी करना नारी के लिए दाएं हाथ का काम है। फिर पुरुष क्यों नहीं समझता कि जो नारी अपने घर अपन बच्चेे ओर अपने परिवार के लिए अपना पूरा जीवन दे देती है। तो उसका सम्मान करे ना की अपमान ! नारी को को और अपने आप को शर्मिंदा ना करे। छोटी बच्चियों जो कि देवी का रूप होती है। तो उसे उसी रूप में स्वीकारे। ना कि अपनी मानसिकता को गिरा कर ऐसे काम करे कि बाद में न्याय और माफी की कोई गुंजाइश ही ना बचे ऐसे गिरे हुए लोगो को अपनी मानसिकता बदलनी होगी।

आज कल ऐसी घटनाएं सुनने में आती है कि उस व्यक्ति के प्रति क्रोध और शर्म आती है। कि जिस देश मे नारी की पूजा की जाती है उसी देश मे ओर पूरी दुनिया मे ही नारी का अपमान किया जाता है। इसके प्रति सरकार को कड़ा कानून बनाना होगा जिससे ऐसा व्यक्ति कुछ करने से पहले ही डरे। इसलिए हर क्षेत्र और जाति समाज और धर्म मे नारी का सम्मान सर्वोच्च होना चाहिए।

आज हमारे देश मे शिक्षा का महत्व:- आज हमारे देश की योग्य लडकिया देश विदेश में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। वे कुशल डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए. एस. अफसर तथा पुलिस की बड़ी नोकरियो एवं सेना में काम कर रही है। कुछ ऐसे सेवा के क्षेत्र भी है, जिसमे महिलाएं अपनी अग्रणी भूमिका निभाती है। नर्सिंग, शिक्षा, समाज तथा समुदाय सेवा में महिलाओ की संख्या काफी है। शिक्षा जे प्रचार के कारण महिलाएं एक शिक्षक के रूप में भी अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रही है। रेडियो, दूरदर्शन तथा सिनेमा में भी आगे बढ़ कर महिलाएं भाग ले रही है। एयरहोस्टेस के रूप में तो नारियां काम करती ही है अब वो विमान चालक के रूप में भी काम करने लगी है। यह सब नारियों की शिक्षा तथा उनकी लगन का ही परिणाम है। जो उन्हें देश सेवा की अग्रणी पंक्ति में स्थान दिल रहा है। पुलिस में भी सिपाहियों से लेकर ऊँचे-ऊँचे पदों तक मे स्त्रियों की भागीदारी बढ़ रही है।

ऐसा विचार किया जा रहा है कि सरकारी सेवा, विधान सभा तथा लोकसभा के चुनावो में नारियों के लिए कम से कम 30 प्रतिशत सीटे आरक्षित की जाये। ग्रामप्रधान के रूप में नारियो की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। ऐसा विशवास किया जाता है, कि शिक्षा प्राप्ती में उनका प्रतिशत बढ़ने से स्वतः भी नारियां देश की सभी प्रकार की सेवाओं में अग्रणी भूमिका निभा सकेंगी। हमारे देश में अनेक ऐसे संस्थान है, जो नारियो में शिक्षा तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे है। स्वामी दयानंद जी द्वारा स्थापित आर्य समाज ने नारी जागरण के लिए काफी कम किया है। आज भी डी. ए. वी. स्कूलो के माध्यम से बालिकाओं को शिक्षित बनाने का उपयोगी कार्य किया जा रहा है। दूसरी अन्य संस्थाये तथा मिशनरी स्कूल भी नारियो की शिक्षा के लिए काफी कुछ कर रही है। विगत 2-3 दशकों से शिशु भारती, बाल भारती, शिक्षा भारती के रूप में राष्टीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भी बालिकाओं की शिक्षा के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे है।

हमारे देश की जनसंख्या में मुसलमानों की भागीदारी का भी 15-16 प्रतिशत है, किंतु जहां तक नारि शिक्षा का सम्बंध है, उनमे इसके लिए अभी तक पूरी तरह ध्यान नही दिया जा रहा है। हिंदुस्तान की आजादी के बाद जिस तेजी के साथ शिक्षा की ओर जोर दिया जाना चाहिए था, वह नही हो सका।

असमंजस भरी स्थिति में नारी शिक्षा का प्रशन भी उलझकर रह गया है। हर इंसान आस पास के वातावरण को देख कर यह अंदाजा लगा लेता है। कि नारी शिक्षा का फैलाव हो गया है बहुत सी लडकिया स्कूल जाने लगी है, ऊँची पढ़ाई पढ़ कर ऊँचे ओहदों पर भी तैनात हो गई है। लेकिन ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत कम है। शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ साथ रोजगार के अवसरों में जो तेजी आनी चाहिए थी, वह नही आई। इसकी वजह से पुरुषों की तरह ही नारियो में भी हताशा की भावना बढ़ने लगी है। वे भी सोचती है, कि पढ़ लिखकर ही क्या होगा जब जीवन भर ग्रहस्थि की गाड़ी ही खींचनी है।

उपसंहार- नारी पराधीनता से मुक्त होकर आज पुनः अपनी एवं रूम गरिमा को पा रही है। पाश्चात्य प्रभाव के कारण नारी समाज के एक वर्ग में विलासीता की भावना अवश्य बड़ी है किंतु वह दिन दूर नहीं जब वह सदमार्ग पर आ जाएगी वो अपने रूप को वर्णन करेगी। वस्तुतः नारी मानवता की प्रतिमूर्ति है।

“मानवता की मूर्तिवती तू – भव्य – भाव – भूषण – भंडार।
दया – क्षमा – ममता के आकार विश्व प्रेम की है आधार।।”

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2 thoughts on “नारी का सम्मान हिंदी निबंध”

  1. किसान आंदोलन में महिलाओं कि भुमिका ओर महत्व
    (1 ) लोकतंत्र प्रणाली मैं आंदोलन की भूमिका और महत्व (२) ‌‌ भारत में किसान आंदोलन का इतिहास
    (३) आंदोलन में महिलाओं की भूमिका एवं महत्व
    (४) वर्तमान आंदोलन को प्रभावित करने वाले कारक
    (५) निष्कर्ष
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  2. या निबंध मेरे लिए बहुत उपयोगी है धन्यवाद आप का तरीका बहुत अच्छा है

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