आतंकवाद पर निबंध

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आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Terrorism in Hindi)

#1. [500-600 word] आतंकवाद पर निबंध-Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या जिसने न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को अपने लपेटे में ले रखा है जब हम बात अपने भारत की करते हैं तो हम पाते हैं कि आतंकवाद से हमारा देश बुरी तरह से प्रभावित है पिछले कई वर्षो में हुए भारत में आतंकवादी हमलों ने देश में रह रहे नागरिकों को झकझोर के रख दिया वह फिर चाहे 26/11 का आतंकवादी हमला हो या दिल्ली के बम धमाके हो या पुलवामा का आतंकवादी हमला, इन हम लोगों ने कयोंकि घर बर्बाद किए हैं किसी के हाथों की कलाई सुनी हो गई तो किसी के घर का चिराग बुझ गया, जब कभी भी मैं इन बेबस लोगों की कहानी सुनती हूं तो स्वयं पर इतना गुस्सा आता है कि हम क्या इन चंद लोगों के सामने इतना बेबस हो जाते हैं तब यही ख्याल आता है कि 70 वर्ष पूर्व की गई एक गलती का परिणाम हम सबको अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार ने इस तरफ बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया धारा 370 कश्मीर से हटाकर अब कश्मीर केंद्र शासित राज्य बन गया है शायद इससे आतंकवाद को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

यदि हम आतंकवाद पर चर्चा करें तो इसे एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है जो मेरे हिसाब से बिल्कुल गलत है मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता गीता, कुरान शरीफ, बाइबल एवं गुरु ग्रंथ साहिब जैसे महान ग्रंथ है जो सिर्फ और सिर्फ प्रेम की ही शिक्षा देते हैं इसलिए यह कहना कि किसी धर्म विशेष में इसे सही माना गया है गलत है यह धर्म के कुछ ठेकेदार हैं जो गरीब और मासूम जनता को भड़का के आपस में लड़ा देते हैं और स्वयं उसका फायदा उठाते हैं यदि आप किसी भी व्यक्ति को यह बता दीजिए कि उसकी मृत्यु 4 दिन बाद हो जाएगी तो भय के कारण वह 4 दिन से पहले ही मर जाएगा परंतु इन आतंकियों को पता होता है कि यदि वह किसी मिशन पर जा रहे हैं तो बचके नहीं आ पाएंगे फिर भी पूरे जोश के साथ अपना मिशन पूरा करते हैं इसके पीछे बेहद प्रभावशाली विचार होते हैं जो उन्हें अपना कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं सबसे पहले ऐसे विचारों को खत्म करने की आवश्यकता है।

आज के समय में भारत जितनी बाहरी आतंकवाद से प्रभावित नहीं है उतना आंतरिक आतंकवाद से प्रभावित है आंतरिक आतंकवाद से मेरा मतलब हमारे बीच के ही चंद लोग जो अपने विचारों के माध्यम से कहीं ना कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

खैर सरकार जो कर रही है आतंकवाद की समस्या से लड़ने के लिए वह अत्यंत ही सराहनीय है परंतु एक देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे जयचंदो को भारत से निकाल फेंकना होगा मैंने जयचंद का नाम इसलिए लिया कि यदि जयचंद ने गद्दारी नहीं की होती तो पृथ्वीराज चौहान जैसे पराक्रमी राजा को हराना आसान न था भारत का इतिहास हमेशा से इस बात का प्रमाण देता आया है कि जब जब भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा है तब तक उसका कारण हमारे स्वयं के देश के जयचंद ही रहे हैं।

मेरा ऐसा मानना है कि आतंकवाद एक नकारात्मक विचारधारा है जिसको खत्म करने के लिए विचारों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और सबसे बड़ी बात सही और गलत का बोध होना और यह कार्य करेगा कौन हम सब मिलकर इस समय मुझे विवेकानंद के वह वाक्य याद आते हैं कि उठो जागो और तब तक लड़ों जब तक सफलता ना मिल जाए आज यदि हम आतंकवाद को समाप्त करना चाहते हैं तो हर एक के अंदर एक नए स्वामी विवेकानंद या एक नई विचारधारा का उदय होना आवश्यक है तब शायद हम काफी हद तक आतंकवाद को खत्म कर सके।

जागृति अस्थाना लेखक

Essay on aatankwad in hindi

#2. [long Essay 1000+ words] आतंकवाद पर निबंध-
Long Paragraph on aatankwad in hindi Essay

मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है। इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था-विरोधी वर्ग अपने दूषित और नीच स्वार्थों की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने का प्रयास करता है। स्वार्थसिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसापूर्ण साधनों का प्रयोग करने से भी नहीं चूकता है। इसी स्थिति में आतंकवाद का जन्म होता है।

आतंकवाद से तात्पर्य-आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल या अस्त्र-शस्त्र में विश्वास रखती है। अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, दल, समुदाय या संप्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है। अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैर-कानूनी ढंग से या हिंसा से सरकार को गिराने तथा शासनतंत्र पर अपना अधिकार करने का प्रयास भी करते हैं।

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद-आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है। सारे संसार में राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है। संसार के भौतिक दृष्टि से संपन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और ज्यादा पनप रही है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉन.एफ. कैनेडी और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या, अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट, भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की हत्या, काश्मीर, असम और अन्य प्रांतों में भी सम्मानित व्यक्तियों का अपहरण तथा हत्या आदि की घटनाएँ ऐसे ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उदाहरण हैं।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-कुछ वर्ष पहले लालडेंगा ने स्वार्थसिद्धि के लिए सम.एन.एफ. की स्थापना की। यह दल विद्रोही बन गया और आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हो गया। इसने बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को अपना निशाना बनाया। इसने इतना आतंक  फैलाया कि बहुत से अधिकारियों ने सेवा से त्यागपत्र ही दे दिया। बंगाल के नक्सलवादियों ने अनेक प्रकार के हिंसात्मक कार्य किए और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया। भारत के भूतपूर्व न्यायाधीश श्री ए.एन.राय 10 मार्च सन् 1975 को बाल-बाल बचे। तत्कालीन रेलवे मंत्री श्री ललितनारायण मिश्र की भाषण देते समय हत्या कर दी गई। पं. दीनदयाल उपाध्याय को रेलयात्रा के बीच मार दिया गया।

पंजाब में पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर आए आतंकवादियों ने सुव्यस्थित रूप से अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। ये धार्मिक स्थलों को अपने अड्डे के रूप में प्रयोग करते रहे। आतंकवादियों ने अपनी एक पूरी सेना तैयार कर ली। इन्हीं आतंकवादियों ने श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री लोंगोवाल की हत्या की। इंडियन एयरलाइंस का एक जहाज गिरा दिया गया, जिसमें सभी 329 यात्री जीवन से हाथ धो बैठे। भूतपूर्व सेनाध्यक्ष श्रीधर वैद्य की 10 अगस्त 1986 को पूना में हत्या कर दी गई।

राजनीतिक हत्याओं के क्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं की हत्या तो एक सिलसिला बन चुका है। पंजाब केसरी के संपादक लाला जगतनारायण एवं श्री रमेशचंद्र की हत्या भी आतंकवादियों के स्वार्थी क्रोध का ही परिणाम है। पंजाब गत अनेक वर्षों से आतंकवाद की ज्वाला में धधकता रहा। बैंकों को लूटा जाता रहा, घरों में आग लगाई जाती रही, निर्दोष लोगों की हत्याएँ की गईं, कितने ही व्यक्ति अपने घर, खेत, कारखाने छोड़कर भाग खड़े हुए।

आतंकवाद की ज्वाला से पंजाब तो जल ही रहा था, आतंकवादियों ने इस जहर को अन्य प्रांतों में भी फैलाना शुरू कर दिया। राजधानी में भी उन्होंने अपनी स्थिति जताई और दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में आयोजित जन्मदिवस समारोह में 14 बेकसूर लोगों की हत्या कर दी। अनेक स्थलों पर बम विस्फोट हुए। खिलौनों, ट्रांजिस्टरों, ब्रीफकेसों तथा टार्च आदि के रूप में आतंकवादी विस्फोटक पदार्थ अनेक स्थानों पर छोड़ गए। पंजाब और दिल्ली के अतिरिक्त . यह आग उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्र में भी फैल गई। पीलीभीत और कोटद्वार के हत्याकांड इसके उदाहरण हैं। परिणामस्वरूप कितने ही अनजान लोगों की जानें चली गईं।

यह घृणित सिलसिला अब भी जारी है। इस बीच पाकिस्तान में प्रशिक्षित और पथभ्रष्ट कश्मीरी नवयुवकों ने कश्मीर की सुकोमल घाटी को अपनी आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बनाया हुआ है। 1990 के प्रारंभ में इन आतंकवादियों ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुशीर-उल-हक और एच.एम.टी. के जनरल मैनेजर श्री एम.एल. खेड़ा का अपहरण करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया। भारत-विरोधी कतिपय देश इन आतंकवादी गतिविधियों में अनेक प्रकार की सहायता कर रहे हैं-धन से, हथियारों से तथा आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके निश्चय ही उनका उद्देश्य भारत को तोड़ना और उसकी उन्नति तथा प्रगति में बाधा उपस्थित करना है।

21 मई को तमिलनाडु ने श्रीपेरुंबुदूर में श्री राजीव गांधी की हत्या से यह सिद्ध हो गया है कि आतंकवादी गतिविधियाँ पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक संपूर्ण भारतवर्ष में फैल चुकी हैं। । आतंकवाद के विविध रूप-आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य है सर्वसाधारण में डर और आतंक फैलाना, ताकि कोई व्यक्ति आतंकवादियों के विरुद्ध गवाही न दे सके और वे निर्भीक भाव से अपनी घृणित गतिविधियाँ जारी रख सकें; अंत: आतंकवादी अनेक प्रकार से आतंक फैलाने का प्रयास करते हैं-राजनीतिज्ञों की हत्या, राजदूतों का अपहरण, निर्दोष लोगों को बंदी बनाकर सरकार के सामने अपनी उचित-अनुचित माँगें रखना, हवाई जहाजों का अपहरण, भीड़ भरे स्थानों पर बम विस्फोट, रेलवे लाइनों की फिश प्लेंटे हटना, ताकि बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हो सकें, कुएँ आदि के पानी में विष का मिश्रण, बैंक डकैतियाँ आदि अनेक कार्य हैं, जो आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हैं।

आतंकवाद के उद्देश्य-उद्देश्य की दृष्टि से आतंकवादी गतिविधियों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

(क) धनात्मक, (ख) ऋणात्मक।

(क) धनात्मक आतंकवाद -धनात्मक आतंकवाद वह है, जिसके उद्देश्य अपवित्र नहीं हैं। विदेशी सत्ता से अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए की जाने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ इसी प्रकार की हैं। भारत के क्रांतिकारी, उत्तर आयरलैंड, फिलिस्तीन, दक्षिण अफ्रीका आदि के आतंकवादी इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं। किंतु हम अच्छे उद्देश्य के लिए भी आतंकवादी उपायों को अपनाने का अनुमोदन नहीं करते। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि अच्छे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अच्छे ही साधन अपनाए जाने चाहिए। शांतिमय और अहिंसक साधन ही स्थायी उपलब्धियों की ओर ले जाते हैं।

(ख) ऋणात्मक आतंकवाद -ऋणात्मक आतंकवाद वह है, जिसमें किसी देश अथवा जाति का कोई असंतुष्ट गुट देश से अलग होने, अलग राज्य स्थापित करने की माँग मनवाने के लिए पूरे देश और समाज को आतंकित करता है। पंजाब का आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है, जिसने देश के बाहर भी अपने पंजे फैलाए।

आतंकवाद का समाधान-आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, उसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो, इसने जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव-जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसको शक्ति के साथ दबा दिया जाना चाहिए।

भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है और इनको मिटाने के लिए दृढ़ कदम उठाए हैं। भारत की संसद ने आतंकवाद-विरोधी विधेयक पारित कर दिया है, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दंड देने का प्रावधान किया गया है।

हमारे राष्ट्रनेताओं का मत है कि हिंसा और आतंकवाद के द्वारा किसी समस्या को हल नहीं किया जा सकता। यदि कोई समस्या है भी तो उसे पारस्परिक विचार-विमर्श से हल करना चाहिए। इसके लिए निर्दोष लोगों की हत्या करने का कोई औचित्य नहीं है। आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक. दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए। जिन लोगों को पीडा हई, किसी भी कारण जिनके परिवार अथवा संपत्ति को नुकसान हुआ है, संबंधियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है, उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए, ताकि घाव हरे न रहें और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को न सह सकने के कारण आतंकवादी न बन जाएँ।

सरकार को सदैव हठ का रवैया नहीं अपनाना चाहिए। किसी वर्ग तथा समुदाय की उचित माँगों को अविलंब स्वीकार कर लेना चाहिए। किसी भी बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना शासन के लिए उचित नहीं हो सकता। कई बार शासन को कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। आवश्यकता होने पर इस प्रकार के कदम उठाने से डरना उचित नहीं होता। इसके लिए गुप्तचर एजेंसियों को सशक्त करने की आवश्यकता है, ताकि आतंकवादी गतिविधियों के आरंभ होने से पहले ही उन्हें कुचल दिया जाए। कानून और व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

आतंकवादियों को पकड़ने तथा उनको दंडित करने के आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है, ताकि आतंकवाद से लड़ने में वह भय का अनुभव न करे। आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किया जाना चाहिए। अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है। आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एक मत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय करें। विश्व की सभी सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध पारस्परिक सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके।

आज विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सजग हो उठे हैं, किंतु दुर्भाग्य से अब भी कई ऐसे देश हैं, जो आतंकवादियों की मुक्तस्थली बने हुए हैं। निश्चय ही इस प्रकार के देशों की निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध त्वरित तथा प्रभावी कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि जनसाधारण में व्याप्त भय और अनिश्चितता की भावना को समाप्त किया जा सके और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके।

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